Saturday 4 March 2017

देशद्रोही और देशभक्त - फिर एक बड़ी बहस

नमस्कार ,
    अस्लामु आलेकुम ,
 
        हेल्लो,

             लाल सलाम,...........

दिल्ली फिर से गर्म है या यूं कहें कि ये हमारे लिए शर्म (करने जैसी बात ) हैं कि दो चार लफंगों द्वारा jnu में लगाये गए देशविरोधी नारो के लिए असली गुनहगारो को पकड़ ही नही सके कि फिर वही मुद्दा नये रूप में हमारे सामने आ खड़ा हुआ है ।
      असल में जब हम समस्या के जड़ में जाते है तो यह बात निकलकर आती है कि हम अब तक देशविरोधी शब्द की ऐसी कोई परिभाषा तय नही कर पाए है जो सब पर मान्य हो-चाहे वो कॉम्युनिस्ट हो या राष्ट्रवादी । और यही एक वजह है कि ऐसी बाते होती है ।
   देशविरोधी नारे वो होते है जिसमे देश को तोड़ने की बात की गयी हो या देश को बदनाम करने की या ऐसी कोई बात की गयी हो जिससे देश की एकता ,अखंडता और संप्रभुता पर कोई खतरा हो ।लेकिन वर्तमान सरकार जिसे देशविरोधी कह रही है और पाकिस्तान भेजने की बात बार-बार कर रही है असल में वो देशविरोधी नही सरकार विरोधी है जो सरकार के प्रति अपनी असहमति जताते है। सरकार अब तक उनको नही पकड़ पायी है या यूं कहें कि उनको नही पकड़ रही है जिन्होंने देश को तोड़ने की बात की थी बल्कि उन्हें पकड़ रही है जो सरकार के विरोध में बोल रहे थे ,किसी एक विचारधारा को थोपने के विरोध में बोल रहे थे,या ब्राम्हणवाद ,भगववाद आदि के विरोध में बोल रहे थे क्योंकि सियासत्ताओ को देश के टूटने से कोई मतलब नही है उन्हें मतलब है तो अपनी सरकार को बचाने से ।वरना ऐसा होता तो मजाल कि कोई देश पर थूके और बचकर भाग जाये जबकि उनके पीछे पूरी पोलिश फोर्स लगा दी गयी हो ।ये दिखाने के दाँत है खाने के कुछ और ही है ।

      देश कुछ लोगो का हो गया है और वो ही तय कर रहे है कि कोनसी बात देशविरोधी है ,कौन पाकिस्तान जायगा और वो जब यह तय कर लेते है कि क्या सही है और क्या गलत तो उसे पुरे देश द्वारा तय किया हुआ मन लिया जाता है ।जबकि उनके द्वारा तय की गयी बाते गरीबो के लिए सही नही होती ,दलितों के लिए सही नही होती ,पूर्व में बसे लोगो के लिए सही नही होती । और यही वजह है कि दलित अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर आते है,मुस्लिम अपने आप को असुरक्षित महसूस करते है ,स्टूडेंट किसी विचारधारा को थोपे जाने का विरोध करते है और विचारधारा भी वही जिसमे मुसलमानो के लिए ,दलितों के लिए,गरीबो के लिए नफरत होती है ,जिसमे अपने ही पडोसी या पड़ोसी से भी बढ़कर अपने ही पुत्र मुल्क पाकिस्तान के प्रति नफरत होती है । और यह बात इन सब घटनाओ से जाहिर होती है जो अभी हाल ही में हुयी कि एक लड़की जिसके पिता कारगिल युद्ध में शहिद हो चुके है बावजूद इसके वह प्यार की ,अमन शांति की बात करती है और अपने पिता की मौत का जिम्मेदार पाकिस्तान को न बताते हुए युद्ध को बताती है ।और बड़ी -बड़ी हस्तियों द्वारा ,नेताओ द्वारा एक अच्छी बात कहने वाली  इस छोटी सी लड़की को ट्रोल किया जाता है ,उसे मारने की धमकी दी जाती है और हद तो तब होती है जब उसको अस्समत लूटने की धमकी दी जाती है और वह शहर ही छोड़ देती है । ये एक घटना हमारी सरकार के बारे में ,हमारे नेताओं के बारे में (जिन्होंने उसे भी पाकिस्तान भेजने की धमकी आखिर दे ही दी थी जबकि लड़की भी इस प्रस्ताव को स्वीकार कर चुकी है क्योंकि वह इस मामले में समझदार है कि पाकिस्तान भी कभी हमारा ही था और इसके साथ जितना गन्दा व्यव्हार करोगे वह उतनी ही गंदगी के साथ जबाब देगा -कश्मीर के मामले में )सब कुछ बता देती है जबकि यह तो बहुत छोटी घटना है । ज्यादा दुःख तो तब होता है जब सुरक्षा बलों के कुछ जवानों द्वारा महिलाओं के साथ दरिंदगी गई जाती है और महिलाओ  के दुःख को इससे समझा जा सकता है कि उन्हें उस सुरक्षा बल के हैडक्वाटर पर नग्न प्रदर्शन करना पड़ता है ।(यह बात पुरानी किसी एक जगह के लिए हो सकती है लेकिन अन्य जगहों पर रोज नए रूप से सामने आती है )और यही ..बल्कि इससे भी बुरे हालात कश्मीर में है  और हम जानते है कि इस बात को स्वीकार करना कठिन है।और कुछ लोग जो स्वीकारकरते है उन्हें देशद्रोही बता दिया जाता है। अपने देश की कमियों इसलिए बताना ताकि उन्हें सुधारा जा सके  ये कतई देशद्रोह नही है बल्कि अपने देश को बुरी बातो से आजाद करना -ये देशभक्ति है और जरूरी भी है ।

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